एक लेखक जब अपनी बहिष्कृत बहन के अनुरोध पर अपने मरणासन्न पिता के पास शोक प्रकट करने आता है तो उसे अतीत से अपने बचपन के दुःख का पुनः एहसास होता है.एक लेखक जब अपनी बहिष्कृत बहन के अनुरोध पर अपने मरणासन्न पिता के पास शोक प्रकट करने आता है तो उसे अतीत से अपने बचपन के दुःख का पुनः एहसास होता है.एक लेखक जब अपनी बहिष्कृत बहन के अनुरोध पर अपने मरणासन्न पिता के पास शोक प्रकट करने आता है तो उसे अतीत से अपने बचपन के दुःख का पुनः एहसास होता है.