अपनी मां की मृत्यु के बाद, अनुपमा को सब एक बुरा शगुन मानने लगते हैं, उसके सौतेले भाई और एक बूढ़े नौकर को छोड़कर सभी उसका बहिष्कार करते हैं. लेकिन क्या उनका साथ उसके लिए काफ़ी होगा.अपनी मां की मृत्यु के बाद, अनुपमा को सब एक बुरा शगुन मानने लगते हैं, उसके सौतेले भाई और एक बूढ़े नौकर को छोड़कर सभी उसका बहिष्कार करते हैं. लेकिन क्या उनका साथ उसके लिए काफ़ी होगा.अपनी मां की मृत्यु के बाद, अनुपमा को सब एक बुरा शगुन मानने लगते हैं, उसके सौतेले भाई और एक बूढ़े नौकर को छोड़कर सभी उसका बहिष्कार करते हैं. लेकिन क्या उनका साथ उसके लिए काफ़ी होगा.