अपने मालिक से भागते हुए एक युवा नौकर भावनात्मक रूप से अस्थिर नन से भरे कॉन्वेंट में शरण लेता है. एक मूक बधिर व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत, वह अपनी पहचान छिपाने की हर कोशिश करता है.अपने मालिक से भागते हुए एक युवा नौकर भावनात्मक रूप से अस्थिर नन से भरे कॉन्वेंट में शरण लेता है. एक मूक बधिर व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत, वह अपनी पहचान छिपाने की हर कोशिश करता है.अपने मालिक से भागते हुए एक युवा नौकर भावनात्मक रूप से अस्थिर नन से भरे कॉन्वेंट में शरण लेता है. एक मूक बधिर व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत, वह अपनी पहचान छिपाने की हर कोशिश करता है.