पियेर पाउलो पसोलिनी
पियेर पाउलो पसोलिनी | |
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जन्म | 5 मार्च 1922 बोलोग्ना, इटली |
मौत | 2 नवम्बर 1975 ऑस्तिया, रोम, इटली | (उम्र 53 वर्ष)
पेशा | फिल्म निर्देशक, उपन्यासकार, कवि, पत्रकार, दार्शनिक |
उल्लेखनीय कामs | फिल्में: अकातोन अरबियन नाइट्स द गॉस्पेल अकॉर्डिंग टू सेंट मैथ्यू तेओरेमा सलो साहित्यिक कृतियां: रगाज़ी दी विता उना विता वायोलेंता |
हस्ताक्षर |
पियेर पाउलो पसोलिनी इतालवी फिल्म निर्देशक, लेखक, पत्रकार और विचारक थे। पसोलिनी यूरोपीय सिनेमा और साहित्य जगत में एक जाना पहचाना नाम है। हालांकि मार्क्सवादी विचारधारा और यौन वर्जनाओं पर उनकी साफगोई और बेबाक दृष्टिकोण के चलते उनको लेकर विवाद आज भी जारी है। रोम के ऑस्तिया बीच पर पसोलिनी की हत्या की अज्ञात शख्स द्वारा हत्या कर दी गई। इस हत्याकाण्ड का इटली में जमकर विरोध हुआ।
जीवन परिचय
[संपादित करें]पसोलिनी का जन्म इटली के बोलोग्ना शहर में हुआ था। पसोलिनी के पिता कार्लो अल्बर्टो पसोलिनी इतालवी सेना में कर्नल थे जबकि उनकी मां सुजेना कॉलुसी एक प्राथमिक विद्यालय में अध्यापिका थीं। पसोलिनी का नाम उनके माता पिता ने उनके चाचा के नाम पर रखा था। पसोलिनी के पिता को जुए की लत थी जिसकी वजह से बड़ा क्ज न चुका पाने की वजह से उनको गिरफ्तार होना पड़ा था। इसके बाद उनकी मां अपने बच्चों को लेकर अपने मायके आ गईं। इस घटना के कुछ समय बाद फासीवाद की विचारधाारा से प्रभावित पसोलिनी के पिता कार्लो अल्बर्टो पसोलिनी ने इटली के तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी की हत्या का षणयंत्र रचने के आरोप में एंतियो ज़म्बोनी को गिरफ्तार किया था।[1]
पसोलिनी ने सात साल की उम्र में कविताएं लिखना शुरू क दिया था। पिता के सैन्य सेवा में होने और लगातार विभिन्न जगहों पर पर स्थानांतरण की वजह से पसोलिनी को किसी भी स्थान से लगाव नहीं हो पाया। इसका नतीजा ये हुआ कि पसोलिनी ने खुद को साहित्य अध्ययन को समर्पित कर दिया। बेहद कम उम्र में ही उन्होंने दास्तोयव्स्की, तोलस्तोय, शेक्सपियर और कॉलरिज जैसे लेखकों की रचनाओं को पढ़ डाला।
विचारधारा
[संपादित करें]पसोलिनी विचाधाारा से प्रगतिशील और साम्यवादी होने के बावजूद रुढ़िवादी कम्युनिस्ट विचारों के विरोधी थे। आम जन से जुड़े विषयों की विवादास्पद विवेचना की वजह से उन्होंने कई गर्मागर्म बहसों को जन्म दिया। इटली में 1968 के छात्र आंदोलन के समय जब विश्वविद्यालयों कते छात्र सड़कों पर पुलिस से लगातार झड़पों में शामिल हो रहे थे और कम्युनिस्ट पार्टियां इन्हें वय्वस्था के खिलाफ सर्वहारा का जन-विद्रोह करार देकर पूर्ण समर्थन कर रही थीं, पसोलिनी इन कम्युनिस्टों के बीच अकेले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने खुले तौर पर साफ शब्दों में इस आंदोलन का विद्रोह का विरोध करते हुए पुलिस वालों का पक्ष लिया।
पसोलिनी ने कम तनख्वाह पर जनसुरक्षा के काम में लगे पुलिसकर्मियों को ही असली सर्वहारा माना जिन्हें अभाव के कारण समृद्ध परिवारों के बिगड़ैल बच्चों की तरह उच्च शिक्षा हासिल करने का अवसर नहीं प्राप्त हुआ और जिसके कारण वो आंदोलन की बस्तुगत स्थितियों को समझने में असमर्थ थे। पसोलिनी पुलिस से ज्यादा न्यायपालिका को ताकतवर मानते थे, जिसकी मुखर आलोचना के कारण उनपर कई तरह के मुकदमे चले। हालांकि बाद में ये मुकदमे एक एक कर खारिज होते गए।
साहित्य रचना
[संपादित करें]पसोलिनी का पहला उपन्यास 'रागाज़ी दी विता' 1955 में प्रकाशित हुआ। इस उपन्यास की कथा के केंद्र में रोम का लंपट सर्वहारा वर्ग था।
फिल्म निर्माण
[संपादित करें]1961 में प्रदर्शित हुई अकातोन पसोलिनी की पहली फिल्म थी। इसके बाद 1975 तक उन्होंने कुल 12 फिल्मों का निर्माण किया।[2]
वर्ष | इतालवी नाम | अंगरेजी नाम | विवरण |
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1961 | अकातोन | अकातोन | पियेर पाउलो पसोलिनी के उपन्यास 'उना विता वायोलेंता' पर आधारित, पटकथा लेखक - पसोलिनी, संवाद - सेर्गियो सिती |
1962 | मम्मा रोमा | मम्मा रोमा | पटकथा लेखक - पसोलिनी, संवाद - सेर्गियो सिती |
1964 | द गास्पेल एकॉर्डिंग टू सेंट मैथ्यू | द गास्पेल एकॉर्डिंग टू सेंट मैथ्यू | सिल्वर लायन-वेनिस फिल्म फेस्टिवल संयुक्त राष्ट्र सम्मान-ब्रिटिश एकेडमी फिल्म पुरस्कार |
1966 | यूसिलाची ए यूचिलिनी | द हॉक एण्ड द स्पैरो | |
1967 | ईडिपो रे | ओडिपस रेक्स | |
1968 | तेओरेमा | थेओरेमा | पसोलिनी का उपन्यास 'थेओरेमा' भी इसी वर्ष प्रकाशित हुआ था. |
1969 | पोर्सिली | पिग्स्टी | |
1969 | मेदेया | मेडेया | |
1971 | इल देकामेरोन | द डेकामेरोन | गियोवानी बोकासियो के उपन्यास 'द डेकामेरोन' पर आधारित। 21वें बर्लिन अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में सिल्वर बियर पुरस्कार।[3] |
1972 | ई राकोन्ती दी कैंटरबरी | द कैंटरबरी टेल्स | जेफ्री चासर के उपन्यास कैंटरबरी टेल्स पर आधारित। 22वें बर्लिन अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में गोल्डन बियर पुरस्कार।[4] |
1974 | इल फियोर देला मिले ए उना नोते | अ थाउजेंड्स एण्ड वन नाइट्स (अरबियन नाइट्स) | देसिया मेराइनी के साथ संयुक्त रूप से पटकथा लेखन। कान्स फिल्म समारोह में ग्रांड प्री से सम्मानित [5] |
1975 | सलो ओ ली 120 गियोर्नाते दी सोदोमा | सलो ऑर द 120 डेज ऑफ सोडोम | मार्ख़ेज दे सेद के उपन्यास लेस 120 जर्नीस दे सोदोमे ओ ते'कोले दू लिबर्तिनेज पर आधारित। सेर्गियो सिती के साथ संयुक्त रूप से पटकथा लेखन. |
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Siciliano, Enzo (2014). Pasolini; Una vida tormentosa. Torres de Papel. पृ॰ 37. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-84-943726-4-3.
- ↑ "Pier Paolo Pasolini". IMDb. मूल से 10 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 दिसंबर 2017.
- ↑ "Berlinale 1972: Prize Winners". berlinale.de. मूल से 4 मई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 दिसंबर 2017.
- ↑ "Berlinale 1972: Prize Winners". berlinale.de. मूल से 27 अप्रैल 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 दिसंबर 2017.
- ↑ "Festival de Cannes: Arabian Nights". festival-cannes.com. मूल से 8 फ़रवरी 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 दिसंबर 2017.