मालूम
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]मालूम होना । उ॰— मैं घर को ठाढ़ी हौ तिहारो को मों सर कटै आन । सोई लेहों जे मों मन भावै नंद महर की आन ।—सूर (शब्द॰) ।
२. अच्छा लगना । रुचना । पसंद आना । उ॰— (क) महमद बाजी प्रेम की ज्यों भावै त्यों खेल । तेलहि फूलहि संग ज्यों होय फुलायल तेल ।—जायसी (शब्द॰) । (ख) गुन अवगुन जानत सब कोई । जौ जेहि भाव नीक तेहि सोई — तुलसी (शब्द॰) । (ग) भावै सो करहू तो उदास भाव प्राणनाथ साथ लै चलहु कैसे लोक लाज बहनो ।— केशव (शब्द॰) ।
३. शोभा देना । सोहना । फहना । उ॰— तुम राजा चाहौ सुख पावा । जोगिहि भोग करत नहिं भावा ।— जायसी (शब्द॰) । संयो॰ क्रि॰—जाना ।
मालूम ^१ वि॰ [अ॰]
१. जाना हुआ । ज्ञात । उ॰—मेरे सनम का किसी को मकाँ नहीं मालूम । खुदा का नाम सुना है निशाँ नहीं मालूम ।—कविता कौ॰, भा॰ ४, पृ॰ ३०० । २ प्रकट । प्रसिद्ध । ख्यात ।
मालूम ^२ संज्ञा पुं॰ [अ॰] जहाज का अफसर (लश॰) ।