Nothing Special   »   [go: up one dir, main page]

Laxmi Puja

Download as docx, pdf, or txt
Download as docx, pdf, or txt
You are on page 1of 11

Laxmi Puja Vidhi includes all sixteen steps of worship which is known as

Shodashopachara Puja (षोडशोपचार पूजा).Following are the steps to be


followed in Laxmi Puja including Shadashopachara Puja:

Dhyana (ध्यान)
Puja should begin with the meditation of Bhagawati Laxmi. Dhyan should be
done in front of already installed Shri Laxmi statue in front of you.

Aavahan (आवाहन)
Aavahan Mudra is formed by joining both palms and folding both thumbs
inwards

Pushpanjali (पष्ु पाञ्जलि)


After Shri Laxmi has been invoked, take five flowers in Anjali (by joining palm
of both hands) and leave them in front of the Murti to offer seat to Shri Laxmi

Swagat (स्वागत)
Padya (पाद्य)
Arghya (अर्घ्य)
Gandha-Samarpan/Chandan-Samarpan (गन्ध-समर्पण/चन्दन-समर्पण)
Pushpa-Samarpan (पष्ु प-समर्पण)
Anga-Pujan (अङ्ग-पज
ू न)
Now worship those Gods who are body parts of Shri Bhagawati Laxmi itself.
For that take Gandha, Akshata and Pushpa in left hand and leave them near
to Shri Laxmi Murti with right hand.

Ashta-Siddhi Puja (अष्ट-सिद्धि पूजा)


Now worship Ashta-Siddhi near to Shri Laxmi. For that take Gandha, Akshata
and Pushpa in left hand and leave them near to Shri Laxmi Murti with right
hand.
Ashta-Lakshmi Puja (अष्ट-लक्ष्मी पूजा)
Ashta-Lakshmi Puja should be performed with Akshata, Chandan and flowers.

Dhoop-Samarpan (धूप-समर्पण)
Deep-Samarpan (दीप-समर्पण)
Naivedhya-Samarpan (नैवेद्य-समर्पण)
Aachaman-Samarpan/Jal-Samarpan (आचमन-समर्पण/जल-समर्पण)
Tambool-Samarpan (ताम्बूल-समर्पण)
Now offer Tambool (Paan with betel nuts) to Shri Laxmi.

Dakshina (दक्षिणा)
Now offer Dakshina (gift) to Shri Laxmi.

Pradakshina (प्रदक्षिणा)
Now offer symbolic Pradakshina (circumambulate from left to right of Shri
Laxmi) with flowers.

Vandana-Sahit Pushpanjali (वन्दना-सहित पष्ु पाञ्जलि)


Now perform Vandana and offer flowers to Shri Laxmi.

Sashtanga-Pranam (साष्टाङ्ग-प्रणाम)
Now offer Sashtanga Pranam (Pranam which is done with eight limbs.

Kshama-Prarthana (क्षमा-प्रार्थना)
Now seek pardon from Shri Laxmi for any known-unknown mistakes done
during Puja.
दीपावली पूजन के लिए जरूरी सामग्री
कलावा, रोली, सिंदरू , एक नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र , फूल, पांच सुपारी, लौंग, पान के
पत्ते, घी, कलश, कलश हे तु आम का पल्लव, चौकी, समिधा, हवन कुण्ड, हवन सामग्री,
कमल गट्टे , पंचामत
ृ (दध
ू , दही, घी, शहद, गंगाजल), फल, बताशे, मिठाईयां, पूजा में
बैठने हे तु आसन, हल्दी, अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, रूई, आरती की थाली। कुशा,
रक्त चंदनद, श्रीखंड चंदन।

दिवाली पज
ू ा की ऐसे करें तैयारी

पूजन शुरू करने से पहले गणेश लक्ष्मी के विराजने के स्थान पर रं गोली बनाएं। जिस
चौकी पर पूजन कर रहे हैं उसके चारों कोने पर एक-एक दीपक जलाएं। इसके बाद
प्रतिमा स्थापित करने वाले स्थान पर कच्चे चावल रखें फिर गणेश और लक्ष्मी की
प्रतिमा को विराजमान करें । इस दिन लक्ष्मी, गणेश के साथ कुबेर, सरस्वती एवं काली
माता की पूजा का भी विधान है अगर इनकी मूर्ति हो तो उन्हें भी पूजन स्थल पर
विराजमान करें । ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु की पूजा के बिना दे वी लक्ष्मी की
पूजा अधूरी रहती है । इसलिए भगवान विष्ण के बांयी ओर रखकर दे वी लक्ष्मी की
पूजा करें ।

दीपावली पूजन आरं भ करें पवित्री मंत्र सेः


“ऊं अपवित्र : पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। य: स्मरे त ् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर:
शुचि :॥” इन मंत्रों से अपने ऊपर तथा आसन पर 3-3 बार कुशा या पष्ु पादि से छींटें
लगाएं। आचमन करें – ऊं केशवाय नम: ऊं माधवाय नम:, ऊं नारायणाय नम:, फिर
हाथ धोएं। इस मंत्र से आसन शुद्ध करें - ऊं पथ्
ृ वी त्वयाधत
ृ ा लोका दे वि त्यवं
विष्णुनाधत
ृ ा। त्वं च धारयमां दे वि पवित्रं कुरु चासनम ्॥अब चंदन लगाएं।
अनामिका उं गली से श्रीखंड चंदन लगाते हुए मंत्र बोलें चन्दनस्य महत्पुण्यम ् पवित्रं
पापनाशनम ्, आपदां हरते नित्यम ् लक्ष्मी तिष्ठ सर्वदा।
दीपावली पूजन के लिए संकल्प मंत्र
बिना संकल्प के पूजन पूर्ण नहीं होता इसलिए संकल्प करें ।
पुष्प, फल, सुपारी, पान, चांदी का सिक्का, नारियल (पानी वाला), मिठाई, मेवा, आदि
सभी सामग्री थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर संकल्प मंत्र बोलें- ऊं विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:,
ऊं तत्सदद्य श्री परु ाणपुरुषोत्तमस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय
पराद्र्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे सप्तमे वैवस्वतमन्वन्तरे , अष्टाविंशतितमे कलियुगे,
कलिप्रथम चरणे जम्बुद्वीपे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गत ब्रह्मवर्तैकदे शे पुण्य (अपने
नगर/गांव का नाम लें ) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्यनप
ृ ते : 2075, तमेऽब्दे
विरोधकृत नाम संवत्सरे दक्षिणायने हे मंत ऋतो महामंगल्यप्रदे मासानां मासोत्तमे
कार्तिक मासे कृष्ण पक्षे अमावस तिथौ बुधवासरे स्वाति नक्षत्रे आयष्ु मान योगे
चतुष्पाद करणादिसत्सुशुभे योग (गोत्र का नाम लें ) गोत्रोत्पन्नोऽहं अमुकनामा (अपना
नाम लें ) सकलपापक्षयपूर्वकं सर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनया– श्रुतिस्मत्ृ यो-
क्तफलप्राप्तर्थं— निमित्त महागणपति नवग्रहप्रणव सहितं कुलदे वतानां पूजनसहितं
स्थिर लक्ष्मी महालक्ष्मी दे वी पूजन निमित्तं एतत्सर्वं शुभ-पूजोपचारविधि
सम्पादयिष्ये।

कलश की पज
ू ा करें ः
कलश पर मौली बांधकर ऊपर आम का पल्लव रखें। कलश में सप
ु ारी, दर्वा
ू , अक्षत,
सिक्का रखें। नारियल पर वस्त्र लपेटकर कलश पर रखें। हाथ में अक्षत और पष्ु प
लेकर वरुण दे वता का कलश में आह्वान करें । ओ३म ् त्तत्वायामि ब्रह्मणा
वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविभि:। अहे डमानो वरुणेह बोध्यरु
ु शंस मान आय:ु
प्रमोषी:। (अस्मिन कलशे वरुणं सांग सपरिवारं सायध
ु सशक्तिकमावाहयामि,
ओ३म्भर्भु
ू व: स्व:भो वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ। स्थापयामि पज
ू यामि॥)

दीपावली गणेश पूजा मंत्र विधि


नियमानुसार सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें ।
हाथ में फूल लेकर गणेश जी का ध्यान करें । मंत्र बोलें - गजाननम्भूतगणादिसेवितं
कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम ्।
उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम ्।
आवाहन मंत्र- हाथ में अक्षत लेकर बोलें -ऊं गं गणपतये इहागच्छ इह तिष्ठ।। अक्षत
पात्र में अक्षत छोड़ें।

पद्य, आर्घ्य, स्नान, आचमन मंत्र –


एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पन
ु राचमनीयम ् ऊं गं गणपतये नम:। इस मंत्र से
चंदन लगाएं: इदम ् रक्त चंदनम ् लेपनम ् ऊं गं गणपतये नम:,
इसके बाद- इदम ् श्रीखंड चंदनम ् बोलकर श्रीखंड चंदन लगाएं।
अब सिन्दरू लगाएं “इदं सिन्दरू ाभरणं लेपनम ् ऊं गं गणपतये नम:।
दर्वा
ू और विल्बपत्र भी गणेश जी को चढ़ाएं।
गणेश जी को लाल वस्त्र पहनाएं। इदं रक्त वस्त्रं ऊं गं गणपतये समर्पयामि।

गणेश जी को प्रसाद चढ़ाएं: इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं गं गणपतये समर्पयामि:।


मिठाई अर्पित करने के लिए मंत्र: -इदं शर्क रा घत
ृ युक्त नैवेद्यं ऊं गं गणपतये
समर्पयामि:।
अब आचमन कराएं। इदं आचमनयं ऊं गं गणपतये नम:।
इसके बाद पान सुपारी दें : इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:।
अब एक फूल लेकर गणपति पर चढ़ाएं और बोलें : एष: पष्ु पान्जलि ऊं गं गणपतये
नम:।
कलश पूजन के बाद सभी कुबेर और इंद्र सहित सभी दे वी दे वता की पूजा गणेश पूजन
की तरह करें । बस गणेश जी के स्थान पर संबंधित दे वी-दे वताओं के नाम लें।
दीपावली लक्ष्मी पूजन विधि मंत्र
सबसे पहले माता लक्ष्मी का ध्यान करें ः – ॐ या सा पद्मासनस्था, विपुल-कटि-तटी,
पद्म-दलायताक्षी। गम्भीरावर्त-नाभिः, स्तन-भर-नमिता, शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया।। लक्ष्मी
दिव्यैर्गजेन्द्रै ः। ज-खचितैः, स्नापिता हे म-कुम्भैः। नित्यं सा पद्म-हस्ता, मम वसतु गह
ृ े,
सर्व-मांगल्य-युक्ता।।
अब हाथ में अक्षत लेकर बोलें “ॐ भूर्भुवः स्वः महालक्ष्मी, इहागच्छ इह तिष्ठ, एतानि
पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम ्।” प्रतिष्ठा के बाद स्नान कराएं:
ॐ मन्दाकिन्या समानीतैः, हे माम्भोरुह-वासितैः स्नानं कुरुष्व दे वेशि, सलिलं च
सुगन्धिभिः।। ॐ लक्ष्म्यै नमः।। इदं रक्त चंदनम ् लेपनम ् से रक्त चंदन लगाएं। इदं
सिन्दरू ाभरणं से सिन्दरू लगाएं। ‘ॐ मन्दार-पारिजाताद्यैः, अनेकैः कुसुमैः शुभैः।
पूजयामि शिवे, भक्तया, कमलायै नमो नमः।। ॐ लक्ष्म्यै नमः, पष्ु पाणि
समर्पयामि।’इस मंत्र से पुष्प चढ़ाएं फिर माला पहनाएं। अब लक्ष्मी दे वी को इदं रक्त
वस्त्र समर्पयामि कहकर लाल वस्त्र पहनाएं।
दे वी लक्ष्मी की अंग पूजा
बाएं हाथ में अक्षत लेकर दाएं हाथ से थोड़ा-थोड़ा अक्षत छोड़ते जाएं— ऊं चपलायै
नम: पादौ पूजयामि ऊं चंचलायै नम: जानूं पूजयामि, ऊं कमलायै नम: कटि पूजयामि,
ऊं कात्यायिन्यै नम: नाभि पूजयामि, ऊं जगन्मातरे नम: जठरं पूजयामि, ऊं
विश्ववल्लभायै नम: वक्षस्थल पूजयामि, ऊं कमलवासिन्यै नम: भुजौ पूजयामि, ऊं
कमल पत्राक्ष्य नम: नेत्रत्रयं पूजयामि, ऊं श्रियै नम: शिरं : पूजयामि।

अष्टसिद्धि पज
ू न मंत्र और विधि
अंग पज
ू न की भांति हाथ में अक्षत लेकर मंत्र बोलें।
ऊं अणिम्ने नम:, ओं महिम्ने नम:, ऊं गरिम्णे नम:, ओं लघिम्ने नम:, ऊं प्राप्त्यै नम:
ऊं प्राकाम्यै नम:, ऊं ईशितायै नम: ओं वशितायै नम:।

अष्टलक्ष्मी पूजन मंत्र और विधि


अंग पूजन एवं अष्टसिद्धि पूजा की भांति हाथ में अक्षत लेकर मंत्रोच्चारण करें ।
ऊं आद्ये लक्ष्म्यै नम:, ओं विद्यालक्ष्म्यै नम:, ऊं सौभाग्य लक्ष्म्यै नम:, ओं अमत

लक्ष्म्यै नम:, ऊं लक्ष्म्यै नम:, ऊं सत्य लक्ष्म्यै नम:, ऊं भोगलक्ष्म्यै नम:, ऊं योग
लक्ष्म्यै नम:

प्रसाद अर्पित करने का मंत्र


“इदं नानाविधि नैवद्य
े ानि ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि” मंत्र से नैवद्य
ै अर्पित करें ।
मिठाई अर्पित करने के लिए मंत्र: “इदं शर्क रा घत
ृ समायक्त
ु ं नैवेद्यं ऊं महालक्ष्मियै
समर्पयामि” बालें।
प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन करायें। इदं आचमनयं ऊं महालक्ष्मियै नम:।
इसके बाद पान सप
ु ारी चढ़ाएं:- इदं ताम्बल
ू पग
ु ीफल समायक्त
ु ं ऊं महालक्ष्मियै
समर्पयामि।
अब एक फूल लेकर लक्ष्मी दे वी पर चढ़ाएं और बोलें: एष: पष्ु पान्जलि ऊं महालक्ष्मियै
नम:।
लक्ष्मी दे वी की पज
ू ा के बाद भगवान विष्णु एवं शिव जी पज
ू ा करने का विधान है ।
व्यापारी लोग गल्ले की पज
ू ा करें । पज
ू न के बाद क्षमा प्रार्थना और आरती करें ।
दिवाली लक्ष्मी पूजा विधि और सामग्री सूची | दिवाली पर मां लक्ष्मी और
भगवान गणेश की पूजा की जाती है । दीपावली पर मां लक्ष्मी और श्री
गणेशजी की पूजा की जाती है । मां लक्ष्मी और श्री गणेशजी की पूजन से घर
में शांति, तरक्की और समद्धि
ृ का वरदान प्राप्त होता है । दिवाली पर हर
व्यक्ति माता लक्ष्मी और भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए पूरे विधि-
विधान से पूजा करते है । दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त 04 नवंबर को
सुबह 06 बजकर 3 मिनट से है और इसका समापन अगले दिन 05
नवंबर 2021 की सुबह 02 बजकर 44 मिनट पर होगा। यही कारण है कि 4
नवंबर को ही लक्ष्मी पूजन किया जाएगा। शाम के 06 बजकर 09 मिनट से
रात 08 बजकर 20 मिनट का मुहूर्त सबसे ऊत्तम माना गया है । इस शुभ
मुहूर्त के समय लक्ष्मी और गणेश पूजा की जा सकती है । दीपावली पूजन
विधि इन हिन्दी सर्वप्रथम पूजा के स्थान को स्वच्छ करें । अब उस स्थान पर
आते और हल्दी से चौक पूरें। तत्पश्चात एक लकड़ी की चौकी उस चौक पर
रखें। अब माता श्री लक्ष्मी, सरस्वती जी तथा गणेश जी की मिट्टी की प्रतिमाएं
अथवा चित्र विराजमान करें । तदोपरांत पूजन के जलपात्र से जल लेकर
निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुए सभी प्रतिमाओं पर छिड़कें। साथ ही
अपने पूजा के आसन को भी इसी मन्त्र का उच्चारण करते हुए जल छिड़ककर
स्वच्छ करें । ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा। य: स्मरे त ् पुण्डरीकाक्षं
स: बाह्याभंतर: शुचि:।। अब पथ्
ृ वी माता को प्रणाम करके निम्नलिखित मन्त्र
का उच्चारण करते हुए आसन ग्रहण करें । पथ्वि
ृ ति मंत्रस्य मेरुपष्ृ ठः ग ऋषिः
सुतलं छन्दः कूर्मोदे वता आसने विनियोगः॥ ॐ पथ्
ृ वी त्वया धत
ृ ा लोका दे वि
त्वं विष्णन
ु ा धत
ृ ा। त्वं च धारय मां दे वि पवित्रं कुरु चासनम ्॥ पथि
ृ व्यै नमः
आधारशक्तये नमः  तत्पश्चात ॐ केशवाय नमः, ॐ नारायणाय नमः, ॐ
माधवाय नमः का उच्चारण करते हुए गंगाजल का आचमन करें । इस पूरी
प्रक्रिया के बाद मन को शांत कर आंखें बंद करें तथा मां को मन ही मन
प्रणाम करें ।  इसके बाद हाथ में जल लेकर पूजा का संकल्प करें । संकल्प के
लिए हाथ में अक्षत (चावल), पुष्प और जल ले लीजिए। साथ में   एक रूपए (या
यथासंभव धन) का सिक्का भी ले लें। इन सब को हाथ में लेकर संकल्प करें
कि मैं अमुक व्यक्ति अमुक  स्थान व समय पर मां लक्ष्मी, सरस्वती तथा
गणेशजी की पूजा करने जा रहा हूं, जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हों।
इसके बाद सबसे पहले भगवान गणेशजी व गौरी का पूजन कीजिए। तत्पश्चात
कलश पूजन करें फिर नवग्रहों का पूजन कीजिए। हाथ में अक्षत और पुष्प ले
लीजिए और नवग्रह स्तोत्र बोलिए। इसके बाद भगवती षोडश मातक
ृ ाओं का
पूजन किया जाता है । इन सभी के पूजन के बाद 6 मातक
ृ ाओं को गंध, अक्षत
व पुष्प प्रदान करते हुए पूजन करें । पूरी प्रक्रिया मौलि लेकर गणपति, माता
लक्ष्मी व सरस्वती को अर्पण कर और स्वयं के हाथ पर भी बंधवा लें। अब
सभी दे वी-दे वताओं के तिलक लगाकर स्वयं को भी तिलक लगवाएं। इसके बाद
मां महालक्ष्मी की पूजा आरं भ करें । अब दे वी लक्ष्मी, गणेश जी व दे वी सरस्वती
जी का पूजन करें । उनके समक्ष सात, ग्यारह अथवा इक्कीस की संख्या में दीप
प्रज्वलित करें । माता श्री लक्ष्मी को श्रंग
ृ ार की सामग्री अर्पित करें । अब श्री
सूक्त, लक्ष्मीसूक्त तथा कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें । तदोपरांत धूप, दीप,
नैवेद्य आदि अर्पित करके आरती करें । इस प्रकार आपका पूजन संपन्न होता
है । पूजन संपन्न होने पर क्षमा – प्राथना करें ।

लक्ष्मी पज
ू न मंत्र सहित | Lakshmi Poojan Mantra मां लक्ष्मी की पज
ू ा के
दौरान इस मंत्र के द्वारा उन्हें रक्तचन्दन समर्पण करना चाहिए-
रक्तचन्दनसम्मिश्रं पारिजातसमुद्भवम ् | मया दत्तं महालक्ष्मि चन्दनं
प्रतिगह्
ृ यताम ् || ॐ महालक्ष्म्यै नमः रक्तचन्दनं समर्पयामि |

मां लक्ष्मी की पूजा के दौरान इस मंत्र के द्वारा उन्हें दर्वा


ु समर्पण करना
चाहिए- क्षीरसागरसम्भते दर्वां
ू स्वीकुरू सर्वदा || ॐ महालक्ष्म्यै नमः दर्वां

समर्पयामि |

इस मंत्र के द्वारा मां लक्ष्मी को अक्षत समर्पण करना चाहिए- अक्षताश्च


सुरश्रेष्ठ कंु कुमाक्ताः सुशोभिताः | मया निवेदिता भक्त्या गह
ृ ाण परमेश्वरि || ॐ
महालक्ष्म्यै नमः | अक्षतान समर्पयामि ||

इस मंत्र के द्वारा मां लक्ष्मी को पुष्प माला समर्पण करना चाहिए- माल्यादीनि
सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो | ॐ मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि |
ॐ महालक्ष्म्यै नमः | पुष्पमालां समर्पयामि ||

इस मंत्र के द्वारा मां लक्ष्मी को आभूषण समर्पण करना चाहिए-


त्नकंकणवैदर्य
ू मुक्ताहाअरादिकानि च | सुप्रसन्नेन मनसा दत्तानि स्वीकुरूष्व भोः
|| ॐ क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम ् | अभूतिमसमद्धि
ृ च सर्वां
निर्णुद मे गह
ृ ात ् || ॐ महालक्ष्म्यै नमः | आभूषण समर्पयामि |

इस मंत्र के द्वारा माता लक्ष्मी को वस्त्र समर्पण करना चाहिए- दिव्याम्बरं


नत
ू नं हि क्षौमं त्वतिमनोहरम ् | दीयमानं मया दे वि गह
ृ ाण जगदम्बिके || ॐ
उपैतु मां दे वसख
ु ः कीर्तिश्च मणिना सह | प्रादर्भू
ु तोस्मि राष्ट्रे स्मिन कीर्तिमद्धि

ददातु मे ||

इस मंत्र के द्वारा मां लक्ष्मी को स्नान हे तु घी अर्पित करना चाहिए- ॐ घत


ृ ं
घत
ृ पावानः पिबत वसां वसापावानः पिबतान्तरिक्षस्य हविरसि स्वाहा | दिशः
प्रदिश आदिशो विदिश उद्धिशो दिग्भ्यः स्वाहा || ॐ महालक्ष्म्यै नमः घत
ृ स्नानं
समर्पयामि |

मां लक्ष्मी की पूजा में इस मंत्र के द्वारा उन्हें जल समर्पण करना चाहिए-
मन्दाकिन्याः समानीतैर्हे माम्भोरूहवासितैः | स्नानं कुरूष्व दे वेशि सलिलैश्च
सुगन्धिभिः || ॐ महालक्ष्म्यै नमः स्नानं समर्पयामि |
इस मंत्र के द्वारा मां लक्ष्मी को आसन समर्पण करना चाहिए-
तप्तकाश्चनवर्णाभं मुक्तामणिविराजितम ् | अमलं कमलं दिव्यमासनं
प्रतिगह्
ृ यताम ् || ॐ अश्वपर्वां
ू रथमध्यां हस्तिनादप्रमोदिनीम ् | श्रियं दे वीमुपह्वये
श्रीर्मा दे वी जुषताम ् ||

इस मंत्र के द्वारा मां लक्ष्मी का आवाहन करना चाहिए- सर्वलोकस्य जननीं


सर्वसौख्यप्रदायिनीम | सर्वदे वमयीमीशां दे वीमावाहयाम्यहम ् || ॐ तां म आवह
जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम ् | यस्यां हिरण्यं विन्दे यं गामश्वं पुरुषानहम ् ||

दिवाली पूजा की सामग्री मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा, रोली,


कुमुकम, अक्षत (चावल), पान, सुपारी, नारियल, लौंग, इलायची, धूप, कपरू ,
अगरबत्तियां, मिट्टी, दीपक, रूई, कलावा, शहद, दही, गंगाजल, गुड़, धनिया, फल,
फूल, जौ, गेहूं, दर्वा
ू , चंदन, सिंदरू , पंचामत
ृ , दध
ू , मेवे, खील, बताशे, जनेऊ, श्वेस वस्त्र,
इत्र, चौकी, कलश, कमल गट्टे की माला, शंख, आसन, थाली. चांदी का सिक्का,
चंदन, बैठने के लिए आसन, हवन कंु ड, हवन सामग्री, आम के पत्ते प्रसाद।.

You might also like