Laxmi Puja
Laxmi Puja
Laxmi Puja
Dhyana (ध्यान)
Puja should begin with the meditation of Bhagawati Laxmi. Dhyan should be
done in front of already installed Shri Laxmi statue in front of you.
Aavahan (आवाहन)
Aavahan Mudra is formed by joining both palms and folding both thumbs
inwards
Swagat (स्वागत)
Padya (पाद्य)
Arghya (अर्घ्य)
Gandha-Samarpan/Chandan-Samarpan (गन्ध-समर्पण/चन्दन-समर्पण)
Pushpa-Samarpan (पष्ु प-समर्पण)
Anga-Pujan (अङ्ग-पज
ू न)
Now worship those Gods who are body parts of Shri Bhagawati Laxmi itself.
For that take Gandha, Akshata and Pushpa in left hand and leave them near
to Shri Laxmi Murti with right hand.
Dhoop-Samarpan (धूप-समर्पण)
Deep-Samarpan (दीप-समर्पण)
Naivedhya-Samarpan (नैवेद्य-समर्पण)
Aachaman-Samarpan/Jal-Samarpan (आचमन-समर्पण/जल-समर्पण)
Tambool-Samarpan (ताम्बूल-समर्पण)
Now offer Tambool (Paan with betel nuts) to Shri Laxmi.
Dakshina (दक्षिणा)
Now offer Dakshina (gift) to Shri Laxmi.
Pradakshina (प्रदक्षिणा)
Now offer symbolic Pradakshina (circumambulate from left to right of Shri
Laxmi) with flowers.
Sashtanga-Pranam (साष्टाङ्ग-प्रणाम)
Now offer Sashtanga Pranam (Pranam which is done with eight limbs.
Kshama-Prarthana (क्षमा-प्रार्थना)
Now seek pardon from Shri Laxmi for any known-unknown mistakes done
during Puja.
दीपावली पूजन के लिए जरूरी सामग्री
कलावा, रोली, सिंदरू , एक नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र , फूल, पांच सुपारी, लौंग, पान के
पत्ते, घी, कलश, कलश हे तु आम का पल्लव, चौकी, समिधा, हवन कुण्ड, हवन सामग्री,
कमल गट्टे , पंचामत
ृ (दध
ू , दही, घी, शहद, गंगाजल), फल, बताशे, मिठाईयां, पूजा में
बैठने हे तु आसन, हल्दी, अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, रूई, आरती की थाली। कुशा,
रक्त चंदनद, श्रीखंड चंदन।
दिवाली पज
ू ा की ऐसे करें तैयारी
पूजन शुरू करने से पहले गणेश लक्ष्मी के विराजने के स्थान पर रं गोली बनाएं। जिस
चौकी पर पूजन कर रहे हैं उसके चारों कोने पर एक-एक दीपक जलाएं। इसके बाद
प्रतिमा स्थापित करने वाले स्थान पर कच्चे चावल रखें फिर गणेश और लक्ष्मी की
प्रतिमा को विराजमान करें । इस दिन लक्ष्मी, गणेश के साथ कुबेर, सरस्वती एवं काली
माता की पूजा का भी विधान है अगर इनकी मूर्ति हो तो उन्हें भी पूजन स्थल पर
विराजमान करें । ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु की पूजा के बिना दे वी लक्ष्मी की
पूजा अधूरी रहती है । इसलिए भगवान विष्ण के बांयी ओर रखकर दे वी लक्ष्मी की
पूजा करें ।
कलश की पज
ू ा करें ः
कलश पर मौली बांधकर ऊपर आम का पल्लव रखें। कलश में सप
ु ारी, दर्वा
ू , अक्षत,
सिक्का रखें। नारियल पर वस्त्र लपेटकर कलश पर रखें। हाथ में अक्षत और पष्ु प
लेकर वरुण दे वता का कलश में आह्वान करें । ओ३म ् त्तत्वायामि ब्रह्मणा
वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविभि:। अहे डमानो वरुणेह बोध्यरु
ु शंस मान आय:ु
प्रमोषी:। (अस्मिन कलशे वरुणं सांग सपरिवारं सायध
ु सशक्तिकमावाहयामि,
ओ३म्भर्भु
ू व: स्व:भो वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ। स्थापयामि पज
ू यामि॥)
अष्टसिद्धि पज
ू न मंत्र और विधि
अंग पज
ू न की भांति हाथ में अक्षत लेकर मंत्र बोलें।
ऊं अणिम्ने नम:, ओं महिम्ने नम:, ऊं गरिम्णे नम:, ओं लघिम्ने नम:, ऊं प्राप्त्यै नम:
ऊं प्राकाम्यै नम:, ऊं ईशितायै नम: ओं वशितायै नम:।
लक्ष्मी पज
ू न मंत्र सहित | Lakshmi Poojan Mantra मां लक्ष्मी की पज
ू ा के
दौरान इस मंत्र के द्वारा उन्हें रक्तचन्दन समर्पण करना चाहिए-
रक्तचन्दनसम्मिश्रं पारिजातसमुद्भवम ् | मया दत्तं महालक्ष्मि चन्दनं
प्रतिगह्
ृ यताम ् || ॐ महालक्ष्म्यै नमः रक्तचन्दनं समर्पयामि |
इस मंत्र के द्वारा मां लक्ष्मी को पुष्प माला समर्पण करना चाहिए- माल्यादीनि
सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो | ॐ मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि |
ॐ महालक्ष्म्यै नमः | पुष्पमालां समर्पयामि ||
मां लक्ष्मी की पूजा में इस मंत्र के द्वारा उन्हें जल समर्पण करना चाहिए-
मन्दाकिन्याः समानीतैर्हे माम्भोरूहवासितैः | स्नानं कुरूष्व दे वेशि सलिलैश्च
सुगन्धिभिः || ॐ महालक्ष्म्यै नमः स्नानं समर्पयामि |
इस मंत्र के द्वारा मां लक्ष्मी को आसन समर्पण करना चाहिए-
तप्तकाश्चनवर्णाभं मुक्तामणिविराजितम ् | अमलं कमलं दिव्यमासनं
प्रतिगह्
ृ यताम ् || ॐ अश्वपर्वां
ू रथमध्यां हस्तिनादप्रमोदिनीम ् | श्रियं दे वीमुपह्वये
श्रीर्मा दे वी जुषताम ् ||