Hawa Singh Sangwan
लेखक का परिचय
नाम : चौ हवा सिंह सांगवान जाट सुपुत्र स्वर्गीय चौधरी श्योनंद सांगवान जाट
जन्मस्थान : गाँव मानकावास तहसील चरखी दादरी , जिला चरखी दादरी (हरयाणा)
जन्मतिथि : 16 मार्च 1947
आपने आठवी तक की शिक्षा अपने गाँव मानकावास से तथा मेट्रिक की परीक्षा पड़ोसी गाँव चरखी से सन १९६५ मैं पास की ,कॉलेज की शिक्षा दयानंद कॉलेज हिसार तथा जनता कॉलेज चरखी दादरी से प्राप्त की और सन १९६९ में सनातक की डिग्री मिलने पर ६ अक्टूबर १९६९ को केन्द्रिये रिज़र्व पुलिस बल में हैड कांस्टेबल के पद पर श्रीनगर में नियुक्त हुए | कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास के बल पर चलते हुए जन . २००१ में कमान्डेंट के पद पर पहुंचे और प्रथम अप्रैल २००४ को ३४ साल सेवा करने के बाद सेवानिवृत हुए | सरकारी रिकॉर्ड में अधिक आयु होने के कारण भविष्ये के प्रमोशन से वंचित रहे |
इस ३४ साल के सेवाकाल में लेह -लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स से कन्या कुमारी तथा नेफा (अरुणाचल ) के हॉट स्प्रिंग्स (चीन ,ब्रह्मा व् भारत सीमा का ट्राई जंक्शन ) से गुजरात के खंभात कस्बे तक लगभग सम्पूर्ण भारत को देखने का अवसर मिला |
केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल की सेवा की बदोलत -पैदल व् खचर के सफ़र से लेकर चेतक हेलीकाप्टर तथा एयरबस तक यात्रा करने का और रेलवे के गले -सड़े प्लेटफोर्म व टूटे -फूटे गाँवो की झोपडियों से लेकर फाइव स्टार होटलों रहने का अवसर प्राप्त हुआ | इस अवधि में बंगाल का नक्सलवाद ,तेलंगाना आन्दोलन (१९७३) पी.ए.सी विद्रोह ,बंगाल में बंगलादेशियों की घुसपैठ , पंजाब का उगरवाद ,गुजरात पुलिस का आन्दोलन .असम में गणपरिषद का आन्दोलन व् उल्फा का उग्रवाद ,मिजोरम व मणिपुर के स्थानिये आन्दोलन व उग्रवाद ,कश्मीरी उगरवाद ,बोडो उग्रवाद ,सन १९९० में अयोध्या में बाबरी मस्जिद व मंदिर विवाद और मेरठ ,मुरादाबाद व हैदराबाद के साम्प्रदयिक दंगे आदि -आदि तथा इसके अतिरिक्त देश भर में अनेक जगह चुनाव के कार्यो में भाग लिया | इस अवधि में अनेक प्रशंसा पत्र तथा मैडल मिले | लेकिन आपका मानना है कि आप की सबसे बड़ी उपलब्धि थी कि पुरे सेवा काल में कभी भी आपने अपने आत्मसम्मान को ठेस तथा अन्याय से समझोता नहीं किया और इसके लिए आपको सन १९८६ में पंजाब व हरयाणा उच् न्यायालय तथा सन २००० में जम्मू कश्मीर उच्च नयायालय ने भारत सरकार व सी .आर .पी .एफ के विरूद्व जाना पड़ा और पूर्णतया न्याय मिला | इस कारण ३४ साल क सेवा काल में २८ साल आपको भारत के अशांत क्षेत्रो में गुजारने पड़े |
आपकी दूसरी उपलब्धि यह है कि सम्पूर्ण भारत को नजदीक से देखने व विभिन्न समाजों को जानने का अवसर मिला |सन १९८८ के बाद जहाँ जहाँ भी रहे वहां के इतिहासों का अध्यन किया तथा अपनी जाट जाती को सामने रखकर हमेशा तुलनात्मक द्रष्टि को अपनाकर गंभीरता से इसका विश्लेषण व चिंतन किया | इसी परिणाम स्वरूप अपनी जाट कौम के बारे में विवश हुए |
समाज सेवा
अगस्त २००६ में जाटो को लुटेरा लिखे जाने का प्रकरण उछलने पर आप की पुस्तिका "असली लुटेरे कौन ?" का पहला संस्करण प्रकाशित हुआ था | उसके बाद पाठको की भारी मांग पर दूसरा ,तीसरा और चौथा संस्करण छपा , अबतक इस पुस्तक के आठ संक्सरण छप चुके हैं | इसके ईलावा आपने दो पुस्तकें और लिखी ' चौधरी छोटूराम का हत्यारा कौन ? ' , यह पुस्तक चौधरी छोटूराम की विचारधारा से संबधित है , और तीसरी पुस्तक अपने अयोध्या मसले ' अयोध्या में अयौधा ' नाम से लिखी | सन 1990 में अयोध्या में बाबरी ढांचे को बचाने में उनकी बड़ी भूमिका रही है।
सन २००४ में सेवानिवृति होने के बाद आपको लगभग सभी संगठनों को नजदीक से देखने का मोका मिला तो पाया कि अधिकतर लोगो में कौम के लिए काम का नहीं बल्कि अपने नाम का जज्बा है और लोग अपना फोटो छपवाने में अधिक विश्वास करते है न कि कौम के लिए काम | अंत में सन २००७ में आपने पाया कि चौ दारा सिंह वाली सभा "अखिल भारतीये जाट महासभा "ही वास्तविक सभा है ,इसके कार्यकर्ता कर्मठ और अपनी कौम के लिए कुछ करने का जज्बा रखते है|
आरक्षण के लिए संघर्ष
इसी कारण आपने अखिल भारतीये जाट महासभा के झंडे तले कौम के लिए काम करने का निश्चय किया | आपको सभा ने "हरयाणा प्रदेश आरक्षण संघर्ष समिति " का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया | २००९ में आपने अखिल भारतीय जाट महासभा से किनारा कर लिया और जाट आरक्षण आन्दोलन की अलख जारी रखी |
6 मार्च , २०११ को आपके नेतृत्व में हरियाणा में रेल रोको आन्दोलन शुरू किया , मय्यड़ के पास रामायण गांव के रेलवे ट्रैक से यह आन्दोलन शुरू किया गया और देखते ही देखते पुरे हरियाणा में १४ ट्रैक जाम कर दिए गए | यह आन्दोलन २१ दिन चला | जींद में मुख्यमंत्री हुड्डा से मीटिंग में हरियाणा राज्य पिछड़ा आयोग गठन के आशवासन के बाद यह धरने उठाए गए | राज्य पिछड़ा आयोग में अपने जाट आरक्षण के लिए तथ्यों समेत जोरदार पैरवी की और 23 जनवरी , २०१३ को हरियाणा राज्य में जाटों को आरक्षण दिया गया | इसके बाद केंद्र में आरक्षण के लिए आपने अपना संघर्ष जारी रखा | केंद्र में राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग का चेयरमैन नियुक्त नहीं किया गया था , सरकार इसमें ढील बरतर रही थी इसके लिए 16 अगस्त , २०१४ को आपकी अगुवाई में जाट दिल्ली के जन्तर मंतर पर आन्दोलन कर रहे थे , जिन पर दिल्ली पुलिस व सीआरपी ने लाठी चार्ज किया , जिसमें काफी जाटों को चोटें आई , इसमें आपके बड़े बेटे राकेश के हाथ में पैर में चोट आई , राममनोहर लोहिया हस्पताल में राकेश के हाथ व पैर में प्लास्टर किया गया , और आप समेत 87 जाटों पर मुकदमा बनाकर उन्हें दिल्ली की तिहाड़ जेल भेज दिया गया | इस केस की आप लोगों की तारीख अभी पटियाला हाउस कोर्ट में चल रही हैं | आपके इस आन्दोलन के दबाव में केंद्र सरकार को राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग का चेयरमैन नियुक्त करना पड़ा | राष्ट्रिय पिछड़ा आयोग ने 10 फरवरी , २०१४ को सीरी फोर्ट ऑडीटोरियम में सुनवाई रखी | आपने जाट आरक्षण के पक्ष मे आयोग के समाख दमदार दलीलों व तथ्यों के साथ 65 पन्नो की अपनी रिपोर्ट रखी | 4 मार्च , २०१४ को नो राज्यों के जाटों को ओबीसी सूचि में शामिल करते हुए आरक्षण प्रदान किया गया | यह आरक्षण 17 मार्च , २०१५ को सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया | इसके बाद हरियाणा राज्य में जाटों का आरक्षण निरस्त कर दिया गया | आपने 12 फरवरी , २०१६ को हिसार के मय्यड गाँव में रेलवे ट्रैक जाम किया | 13 फरवरी की शाम को हांसी रेस्ट हाउस में हरियाण के कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ से वार्ता के बाद आपने सरकार को एक महिना का समय देते हुए 14 फरवरी की सुबह आन्दोलन स्थगित करने का फैसला लिया | इससे पहले आपने अपने 35 साल की नौकरी के अनिभव के आधार पर 16 अगस्त , २०१५ को हिसार जाट धर्मशाला में जाटों के सभी संगठनों को साफ़ शब्दों में समझाया था कि भविष्य में जो भी संगठन आन्दोलन करें वह इस बात का ख्याल रखें रास्ते जाम नहीं करने हैं , क्योंकि इससे लोकल पब्लिक को परेशानी होगी , और ऐसा होने से हमारा आन्दोलन भटक जायेगा और आन्दोलन ख़त्म जो जायेगा |
परिवार
कमांडेंट हवा सिंह सांगवान जिला चरखी दादरी के मानकावास गांव के रहने वाले हैं। पिता श्योनंद सांगवान किसान थे। २००३ में आपका परिवार गाँव से भिवानी रहने लगा | हवा सिंह सांगवान के दो बेटे और एक बेटी हैं। बड़ा बेटा राकेश और छोटा योगेश। दोनों दिल्ली में आप्टीकल फाइबर बिछाने का कारोबार करते हैं। बेटी शाहदरा , दिल्ली ब्याह रखी है , जिनका अपना निजी कारोबार है ।
Embraced Sikhism
According to News reports dated 24th April 2021, Hawa Singh Sangwan embraced Sikhism at a ceremony in Golden Temple, Amritsar.
उनकी लिखी पुस्तकें
- अयोध्या में योद्धा - 1990 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराने की पहली कोशिश के दौरान हुई राजनीति पर केंद्रित। तब वह विवादित भूमि पर तैनात सीआरपीएफ के कमांडेंट थे।
- चौ. छोटूराम का हत्यारा कौन? - जाट नेता चौधरी छोटू राम की मृत्यु के बाद उनकी विचारधारा पर केंद्रित यह उनकी तीसरी किताब थी।
- असली लुटेरे कौन?(एक क्रांतिकारी प्रयास), पांचवां संस्करण अक्टूबर 2009) - इस किताब के छह भाग छपे थे। यह किताब उन्होंने अगस्त 2006 में एक पाठ्य पुस्तक में जाटों को लुटेरा बताए जाने के जवाब में लिखी थी।केन्द्रीय विद्यालयों के पाठ्यक्रम की पुस्तकों में साम्यवादी लेखक विपिन चन्द्र ने ब्रज के जाटों को लुटेरा लिखा था|
संपर्क
CONTACT :CH HAWA SINGH SANGWAN ; +91-9416056145
External links
- Commandent-Hawasingh-From-Ayodhya-to-Mayyad on Jatland Forums
- यू-ट्यूब पर श्री हवासिंह सांगवान द्वारा दिया गया एक साक्षात्कार
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