ओसियाँ
ओसियाँ (Osian) भारत के राजस्थान राज्य के जोधपुर ज़िले में स्थित एक नगर है।[1][2]जिसे प्राचीन समय से ही मंदिरों की नगरी के नाम से जाना जाता है
ओसियाँ Osian | |
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ओसियाँ मंदिर | |
निर्देशांक: 26°43′00″N 72°55′00″E / 26.7167°N 72.9167°Eनिर्देशांक: 26°43′00″N 72°55′00″E / 26.7167°N 72.9167°E | |
ज़िला | जोधपुर ज़िला |
प्रान्त | राजस्थान |
देश | भारत |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 12,548 |
भाषा | |
• प्रचलित भाषाएँ | राजस्थानी, हिन्दी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
सिलालेखो के अध्ययन से पता चलता है की ओसिया में प्राचीन समय में 108 मंदिर थे जिन्हे बाद में अफ़गान आक्रमण कारियो ने खंडित कर दिया लेकिन आज भी उनके अवशेष ओसियां में दिखाई देते है।
विवरण
संपादित करेंओसिया जोधपुर से 65 किमी की दूरी पर स्थित है। यह देशी विदेशी पर्यटकों को मन्दिरों एवं स्मारको की स्थापत्य कला के कारण आकर्षित करता है। ओसिया में एक तरफ मन्दिरों का समूह तथा दुसरी तरफ रेगिस्तान स्थित है। इस प्राचीन नगर-क्षेत्र की यात्रा के दौरान बीच-बीच में पड़ते हुए रेगिस्तानी विस्तार व छोटे-छोटे गांव अतीत के लहराते हुए भू-भागों में ले जाते हैं। ओसियां में माँ सच्चियाय का भव्य मंदिर बना हुआ है , जैन मंदिर , सूर्य मंदिर के साथ अन्य मन्दिर बने हुए है। मंदिरों की शैली के कारण "राजस्थान का भुवनेश्वर" भी कहा जाता है। ओसियां का प्राचीन नाम उपकेसपुर , पाटननगरी और उपकेस पाटन भी थे। ओसवालों की उदगम स्थल होने की वजह से इसका नाम ओसियां रखा गया।
मंदिर
संपादित करेंओसिया को मन्दिरो की नगरी कहा जाता है। एक समय में ओसिया मे 108 मन्दिर थे। समय के साथ यह संख्या अनेक कारणों से कम होती गई। ओसिया के सभी स्मारक एवं मन्दिर गुर्जर प्रतिहार राजवंशों ने आठवी से बाहरवी शताब्दी के मध्य बनाये गये है। यह पूर्व मध्य कालीन समय के स्मारक कहे जाते है। इन मन्दिरों को उङीसा के सूर्य मन्दिर एवं खजुराहो के मन्दिरों के समकक्ष माना जाता है। यहा के ये स्मारक नागर शैली मे बने हुए है। मन्दिरों को दो भागो मे स्थापत्य कला की दृष्टि से विभक्त किया गया है। पचायतन प्रकार के मन्दिर एवं एकायतन प्रकार के मन्दिर । वर्तमान में ओसियां में 18 स्मारक एवं दो बावङी स्थित है। मन्दिरों में एक महावीर का जैन व शेष हिन्दू मंदिर है। इनमें सूर्य मंदिर,हरिहर के तीन मन्दिर,विष्णु के तीन मन्दिर,पीपला माता का मन्दिर,शिव मन्दिर,एक भग्न मंदिर,भगवान महावीर का जैन मंदिर तथा सबसे विशाल सच्चियाय माताजी मन्दिर का मन्दिर है। इन स्मारकों में सच्चियाय माताजी मन्दिर एवं जैन मन्दिर को छोङकर सभी मन्दिर व स्मारक राजस्थान सरकार के पुरातत्व विभाग के अधीन है। जैन मन्दिर की व्यवस्था जैन ट्रस्ट द्वारा तथा श्री सच्चियाय माताजी मन्दिर की व्यवस्था एक सर्वजातीय सार्वजनिक ट्रस्ट द्वारा की जाती है। जिसकी स्थापना सन् 1976 मे पुजारी जुगराज जी शर्मा ने की थी। सच्चियाय माताजी महिषासुर मर्दिनी का स्वरूप है। सत्य वचन एवं मनोकामना पूर्ण करने वाली माने जाने के कारण सच्चिका कही जाती है। सच्चियाय माताजी की मूर्ति काले प्रस्तर की चार हाथ वाली मूर्ति है। मूर्ति के हाथो मे तलवार ढाल ध्वजा एवं त्रिशूल धारण किये हुए है। सच्चियाय माताजी का मन्दिर एक हिन्दू मन्दिर है, जिसकी पुजा प्रार्थना एवं अनुष्ठान हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार होते है। यहा पर वर्ष में दो मेले चैत्र नवरात्रि एवं आसोज नवरात्रि मे लगते है। जैन धर्म के एक समुदाय की उत्पत्ति ओसियां से होने के कारण ओसवाल सच्चियाय माताजी को कुल देवी के रूप में मानते है।श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान का मंदिर भी है। गुरु जम्भेश्वर भगवान का मंदिर ओसियां रेलवे स्टेशन के पास हैं।
प्रसिद्ध चारण कवि दुरसाआड़ा की स्वयं खुद की बनवाई गई पीतल की मूर्ति यहां स्थित है।
इन्हें भी देखें
संपादित करें- जोधपुर ज़िला
- नेवरा रोड़
- हरिपुरा
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Lonely Planet Rajasthan, Delhi & Agra," Michael Benanav, Abigail Blasi, Lindsay Brown, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787012332
- ↑ "Berlitz Pocket Guide Rajasthan," Insight Guides, Apa Publications (UK) Limited, 2019, ISBN 9781785731990