बाबा
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]बाबा ^१ संज्ञा पुं॰ [तु॰ तुल॰ अप॰ बप्पा, बब्बा]
१. पिता । उ॰— (क) दादा बाबा भाई के लेखे चरन होइगा बंधा । अब की बेरियाँ जो न समुझे सोई है अंधा ।—कबीर (शब्द॰) । (ख) बैठे संग बाबा के चारों भइया जेंवन लागे । दसरथ राय आपु जेंवत हैं अति आनँद रस पागे ।— सूर (शब्द॰) ।
२. पितामह । दादा ।
३. साधु संन्यासियों के लिये एक आदरसूचक शब्द । जैसे, बाबा रामानंद ।
४. बुढ़ा पुरुष । उ॰— केशव केशन अस करी, बैरी हूँ न कंरहिं । चंद्राबदन मृगलोचनी बाबा कहि कहि जाहिं ।—केशव (शब्द॰) ।
५. एक सबोधन जिसका व्यवहार साधु फकीर करते हैं । जैसे,—भला हो, बाबा । विशेष— झगड़े या बातचीत में जब कोई कोई बहुत साधु या शांत भाव प्रकट करना चाहता है और दूसरे से न्यायपूर्वक विचार करने या शांत होने के लिये कहता है तब वह प्राय ः इस शब्द से संबोधन करता है । जैसे,— (क) बाबा ! जो कुछ तुम्हारा मेरे जिम्मे निकलता हो वह मुझसे ले लो । (ख) एक—अभी थका माँदा आ रहाँ हूँ फिर शहर जाउँ ? दूसरा— बाबा ! यह कौन कहता है कि तुम अभी जाओ ?
बाबा ^२ संज्ञा पुं॰ [अ॰] लड़कों के लिये प्यार का शब्द ।