पत्र
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]पत्र ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. किसी वृक्ष क पत्ता । फ्ती । दल । पर्ण । यौ॰—पत्रपुष्प ।
२. वह वस्तु जिसपर कुछ लिखा हो । लेखाधार । लिखा हुआ कागज । विशेष—कागज का आविष्कार होने के पहले बहुत दिनों तक भारतवर्ष में ताड़ के पत्तों पर लेख, पुस्तकें आदि लिखी जाती थीं । इसी अभ्यासवश लेखयुक्त कागज, ताम्रपट आदि को भी लोग पत्र कहने लगे ।
३. वह कागज या ताम्रपट आदि जिसपर किसी विशेष व्यवहार के प्रमाणस्वरूप कुछ लिखा गया हो । वह कागज जिसपर किसी खास मामले की सनद या सबूत के लिये कुछ लिखा हो । जैसे, दानपत्र, प्रतिज्ञापत्र आदि । क्रि॰ प्र॰—लिखना ।
४. वह लेख जो किसी व्यवहार या घटना के प्रमाण या सनद के लिये लिखा गया हो । कोई वसीका, पट्टा या दस्तावेज । क्रि॰ प्र॰—लिखना ।
५. चिट्ठी । पत्री । खत । क्रि॰ प्र॰—लिखना ।
६. समाचारपत्र । खबर का कागज या अखबार । क्रि॰ प्र॰—चलाना ।—निकालना । यौ॰—पत्रसंपादक ।
७. पुस्तक या लेख का एक पन्ना । पृष्ठ । पन्ना ।
८. धातु की चद्दर । पत्तर । वरक । जैसे, स्वर्णपत्र ।
९. तीर या पक्षी के पंख । पक्ष ।
१०. तेजपात ।
११. चिड़िया । पखेरू ।
१२. कोई वाहन या सवारी । जैसे, रथ, बहल, घोड़ा, ऊँट आदि ।
१३. कस्तूरी, केशर, चंदन आदि द्रव्यों से कपोल या स्तनों की सजावट (को॰) ।
१४. शस्त्र की धार । असि या कुठार आदि का फल (को॰) ।
१५. कटार । छुरा (को॰) ।
पत्र ^४ संज्ञा पुं॰ [सं॰ पत्रपुट] दे॰ 'पात्र' । उ॰—पत्र सुधारै जोगणी माल सुधारै रंभ थंभ चलेवौ सोमरवि देखे व्योम अचंभ ।—रा॰ रू॰, पृ॰ ३६ ।