shayri

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मैं चुप रहा तो और ग़लतफ़हमियाँ बढ़ी, वो भी सुना उसने जो मैंने कहा नहीं। - बशीर बद्र
क्यों डरें ज़िन्दगी में क्या होगा, कुछ न होगा तो तज़ुर्बा होगा। - जावेद अख़्तर
तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं, किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं। — फ़ैज़ अहमद फ़ैज़